रोहित कुमार: "बुरा ना मनो होली है" (कथा कविता)


बुरा ना मनो होली है - Holi Narrative Poem
बुरा ना मनो होली है - Holi Narrative Poem 


मुट्ठी भर रंग अम्बर में किसने है दे मारा 
आज तिरंगा दीखता है अम्बर मोहे सारा 

आज ब्रज बन जाएगा नगर अपना सारा
आज रंगा ले हमसे रे मुखड़ा अपना प्यारा ' 

बुरा ना मानो होली है । होती आज ठिठोली है 
आज ना चलने पाएगा जादू कोई तुम्हारा 

देखो आज तो होली है भीगी उसकी चोली हे 
करते लोग ठिठोली है . डरे मनवा हमारा ! 

                                                   *** रोहित कुमार "हैप्पी" ***


यह कविता में कथा (narrative) शब्दोंका उच्चारण किया है. कवी रोहित कुमार ने Holi पर कुछ सुन्दर कविता lines लिखी है. 

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