आदाब सी लड़कियाँ - FREE VERSE POEM (मुक्तछंद कविता) कहाँ चली जाती हैं हँसती खिलखिलाती चहकती महकती कभी चंचल नदिया तो कभी ठहरे तालाब सी लड़कियाँ क्यों चुप हो जाती हैं गज़ल…
अघोरी ! मोहपाश में बंधा हुआ मन अभी दिवस का पहर शेष है राग – द्वेष मन, भरा क्लेश है उर के अन्ध – विवर में अब भी सुलग रही भीषण कामाग्नि मेरे अन्तर का दावानल ढल जाने दे । अघोरी …
हास्य कविता- "आतंकवादी कोरोना" "कोरोना: Coronavirus Funny Poem" बंद हुआ दुनिया का सुख चैन से सोना और शुरू हुआ है जोर जोर से रोना। क्योंकि पीछे पड़ गया एक अत्…
तेरे जाने के बाद दिल फिर - Elegy Poem (शोककाव्य) तेरे जाने के बाद दिल फिर उन्हीं रास्तों पर निकल गया है बहुत कुछ वही है, बहुत कुछ बदल गया है वही समंदर, वही समंदर का किनारा और किनारे…
रोहित कुमार: "बुरा ना मनो होली है" (कथा कविता) बुरा ना मनो होली है - Holi Narrative Poem मुट्ठी भर रंग अम्बर में किसने है दे मारा आज तिरंगा दीखता है अम्बर मोहे सारा …
पति और पत्नी की हास्य कविता 👨🏻 हमने अपनी पत्नी से कहा 'तुलसीदास जी ने कहा है- ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी ये सब ताड़न के अधिकारी -इसका अर्थ समझती हो या समझाएं?' …
Free Verse Poem (मुक्तछंद कविता) आज नदी बिलकुल उदास थी। सोयी थी अपने पानी में, उसके दर्पण पर – बादल का वस्त्र पड़ा था। मैंने उसे नहीं जगाया, दबे पाँव घर वापस आया। *** के…
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